चांदूर रेल्वे/
शहर में राजस्थानी महिलाए गणगौर व्रत पूजा अर्चना 16 दिन तक बडे उत्सवपूर्वक मनाती है। परिवार की महिलाओं ने आपस में मिलकर गणगौर माता के गीत गाते साथ ही माता से अखंड सौभाग्य की कामना करती है। राजस्थानी महिला मंडल ने 25 एप्रिल से स्थानीय बालाजी मंदिर में परंपरागत रिती रिवाज से गणगौर पूजन कर शिव और गौरी की कृपा पाने के लिए पूजा अर्चना और व्रत आरंभ कीया है,भारत के कुछ राज्यों में यह त्यौहार खासा लोकप्रिय है।गणगौर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर मनाया जाता है.
महिलाएं परंपरागत वेशभूषा में सज धजकर 16 दिनों तक गणगौर के त्यौहार पर्व का आनंद लेती है, महाराष्ट्र,राजस्थान समेत उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,हरियाणा और गुजरात जैसे राज्यों में यह पर्व धूम धाम से मनाया जाता है। यह 16 दिनों तक लगातार मनाए जाने वाला लोक पर्व है। इसके लिए कई धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं। मान्यता है कि भगवान शिव ने माता पार्वती को और माता पार्वती ने संपूर्ण स्त्रियों को सौभाग्यवती होने का वरदान दिया था। माना जाता है कि गणगौर का मतलब गण शिव और गौर माता पार्वती से है। ऐसे पवित्र त्यौहार की शुरुआत चांदूर रेल्वे के सत्यनारायण मंदिर में हर वर्ष महिलाओं की और से कीया जाता है,आज राजस्थानी महिला मंडळ ने गणगौर बिदोरा निकालकर बैन्ड बाजे के साथ शहर में घुमाया ,इस समय राजस्थानी समाज की सभी महिलाए,युवती बड़ी संख्या में उपस्थित थीं
# गणगौर पूजा का कुंवारी और सुहागन महिलाओं के लिए महत्व
गणगौर पूजा महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए यह पूजा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। माना जाता है जो सुहागिन गणगौर व्रत करती हैं तथा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं ,उनके पति की उम्र लंबी हो जाती है। वहीं, जो कुंवारी कन्याएं गणगौर व्रत करती हैं उन्हें मनपसंद जीवनसाथी का वरदान प्राप्त होता है। इस पर्व को 16 दिन तक लगातार मनाया जाता है और गौर का निर्माण करके पूजा की जाती है।